परोपकरणं येषाम् , जागर्ति हृदये सताम्।

नश्यन्ति विपद: तेषाम् ,सम्पद: स्यु: पदे पदे।।

अर्थात- जिन सहृदय लोगों के हृदय में परोपकार करने की भावना सदैव जागृत रहती है ; उन्हें दुख और विपत्ति कभी नहीं सताती है ; बल्कि उन्हें पग-पग पर समृद्धि और खुशी प्राप्त होती है।

The feeling of charity in the kind heart is always awake. They never suffer pain and misery; Rather, they get richness and happiness on their way.