२६८ . ।। प्रतिज्ञा ।।
लक्ष्मीः चन्द्राद् अपेयाद् वा
हिमवान् वा हिमम् त्यजेत् ।
अतीयात् सागरो वेलाम् न
प्रतिज्नाम् अहम् पितुः ।।
भले ही प्रकाश चंद्राला सोडून जाईल , बर्फ हिमालयाचा त्याग करेल , समुद्र आपल्या सीमांचे उल्लंघन करेल , परंतु मी माझ्या पित्याला दिलेले वचन कधीच मोडणार नाही ” . हे श्रीरामाने वनवासाला निघण्याआधी उच्चारलेले शब्द आहेत .
” भले ही प्रकाश चन्द्रमा को छोड दे , हिमालय पर जमी हुई बर्फ उस को त्याग दे , महासागर का पानी अपनी मर्यादाए लांघ जाए , किन्तु मै पिता को दी हुई प्रतिज्ञा कभी भी नहीं तोडूंँगा ” । ये वनवास में जाने से पहिले श्रीराम ने कहे हुए शब्द हैं ।
These are the words uttered by Shri Rama when he is about to go into exile ( vanavasa) . ” It may happen that brightness leaves the Moon or that ice leaves its abode in the Himalaya or that the sea exceeds its limits…. But it is never possible that I will break the promise I made to my father.