गुणानामन्तरं प्रायः तज्ज्ञो जानाति नेतरः ।

मालतीमल्लिकामोदं घ्राणं वेत्ति न लोचनम्॥

–दृष्टान्तकलिकाशतकम् २२

गुणानाम् अन्तरं प्रायः तज्ज्ञः जानाति न इतरः । मालती-मल्लिका-मोदं घ्राणं वेत्ति न लोचनम्॥

प्रायः गुणानाम् अन्तरं तज्ज्ञः जानाति। इतरः न (जानाति) । मालती-मल्लिका-मोदं घ्राणं वेत्ति। लोचनं न वेत्ति ॥

गुणों का अंतर प्रायः वही जानता है, जो गुण विषयक ज्ञानी हो। दूसरा कोई नहीं जानता। (इसका उदाहरण-) मोगरे का माप (सुगंध) नाक को पता होता है, आँख को नहीं।

One who has knowledge of the qualities alone, knows the difference between qualities. The nose knows the measure (fragrance) of a jasmine flower, not the eye.