सत्यमेवेश्वरो लोके सत्ये धर्मः सदाश्रितः ।सत्यमूलनि सर्वाणि सत्यान्नास्ति परं पदम् ॥

भावार्थ : सत्य ही संसार में ईश्वर है; धर्म भी सत्य के ही आश्रित है; सत्य ही समस्त भव – विभव का मूल है; सत्य से बढ़कर और कुछ नहीं है ।

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