Subhashitam 1
पठतो नास्ति मूर्खत्वम् जपतो नास्ति पातकम् । मौनिनः कलहो नास्ति न भयं चास्ति जाग्रतः ॥ A learned person can never act foolishly. A devout person can never be wicked. A silent person can never get involved in quarrels. A...
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Posted by SanskritToday | Mar 10, 2017 | Subhashitams |
पठतो नास्ति मूर्खत्वम् जपतो नास्ति पातकम् । मौनिनः कलहो नास्ति न भयं चास्ति जाग्रतः ॥ A learned person can never act foolishly. A devout person can never be wicked. A silent person can never get involved in quarrels. A...
Read MorePosted by SanskritToday | Mar 10, 2017 | Uncategorized |
या कुन्देन्दुतुशारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना । या ब्रह्माच्युतशन्करप्रभृतिभिः देवैः सदा वन्दिता सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥ One who is as white as a garland of kunda...
Read MorePosted by SanskritToday | Mar 9, 2017 | Bhagavad Gita |
श्लोकः सर्वमेतदृतं मन्ये यन्मां वदसि केशव। न हि ते भगवन्व्यक्तिं विदुर्देवा न दानवाः।।१०-१४।। सन्धि विग्रहः सर्वम् एतत् ऋतम् मन्ये यत् माम् वदसि केशव। न हि ते भगवन् व्यक्तिम् विदुः देवाः न दानवाः।।१०-१४।। श्लोकार्थः हे केशव! यत्...
Read MorePosted by SanskritToday | Mar 8, 2017 | Bhagavad Gita |
श्लोकः अर्जुन उवाच। परं ब्रह्म परं धाम पवित्रं परमं भवान्। पुरुषं शाश्वतं दिव्यमादिदेवमजं विभुम्।।१०-१२।। आहुस्त्वामृषयः सर्वे देवर्षिर्नारदस्तथा। असितो देवलो व्यासः स्वयं चैव ब्रवीषि मे।।१०-१३।। सन्धि विग्रहः परम् ब्रह्म परम्...
Read MorePosted by SanskritToday | Mar 7, 2017 | Bhagavad Gita |
श्लोकः तेषामेवानुकम्पार्थमहमज्ञानजं तमः। नाशयाम्यात्मभावस्थो ज्ञानदीपेन भास्वता।।१०-११।। सन्धि विग्रहः तेषाम् एव अनुकम्पार्थम् अहम् अज्ञानजम् तमः। नाशयामि आत्म-भावस्थः ज्ञान-दीपेन भास्वता।।१०-११।। श्लोकार्थः तेषाम् एव...
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