गुरुं वा बालवृद्धौ वा ब्राह्मणं वा बहुश्रुतम् ।

आततायिनमायान्तं हन्यादेवाविचारयन् ।।

गुरु असो किंवा पुत्रवत बालक असो , पित्यासमान वृद्ध असो , ब्राह्मण असो वा कोणी ज्ञानी पुरुष असो . जे अधर्माने दुसऱ्यांना मारत असतील , अशा अतिरेक्यांना कुठलाही विचार न करता ठार मारले पाहिजे .

चाहे गुरू हो , चाहे पुत्रादिक बालक हों , चाहे पिता आदि वृद्ध हो , चाहे ब्राह्मण और चाहे बहुत शास्त्रों का श्रोता क्यों न हो , जो अधर्म से दूसरों को मारते हैं ऐसे आतंकवादियों को बिना विचार किये मार डालना चाहिए ।

A terrorist must be killed without any (second) thought , even if he happens to be your teacher , a child , an old person , a Brahmin or erudite scholar .