उत्सवे व्यसने चैव
दुर्भिक्षे राष्ट्रविप्लवे।
राजद्वारे श्मशाने च
य: तिष्ठति स बान्धवः॥
वह जो हमारे आनंद एवं दुःख के समय, दुर्भिक्ष, युद्ध, राजा के न्यायालय, अथवा मृत्यु पर्यन्त भी साथ रहे, वही सच्चा मित्र है।
उत्सवे व्यसने चैव
दुर्भिक्षे राष्ट्रविप्लवे।
राजद्वारे श्मशाने च
य: तिष्ठति स बान्धवः॥
वह जो हमारे आनंद एवं दुःख के समय, दुर्भिक्ष, युद्ध, राजा के न्यायालय, अथवा मृत्यु पर्यन्त भी साथ रहे, वही सच्चा मित्र है।