2.1.1.1 – वर्गाः पृथ्वीपुरक्ष्माभृद्वनौषधिमृगादिभिः

2.1.1.2 – नृब्रह्मक्षत्रविट्शूद्रैः साङ्गोपाङ्गैरिहोदिताः

भूमिः. (7) – भू (स्त्री), भूमि (स्त्री), अचला (स्त्री), अनन्ता (स्त्री), रसा (स्त्री), विश्वम्भरा (स्त्री), स्थिरा (स्त्री)
2.1.2.1 – भूर्भूमिरचलानन्ता रसा विश्वम्भरा स्थिरा

भूमिः. (7) – धरा (स्त्री), धरित्री (स्त्री), धरणि (स्त्री), क्षोणि (स्त्री), ज्या (स्त्री), काश्यपी (स्त्री), क्षिति (स्त्री)
2.1.2.2 – धरा धरित्री धरणिः क्षोणिर्ज्या काश्यपी क्षितिः

भूमिः. (5) – सर्वंसहा (स्त्री), वसुमती (स्त्री), वसुधा (स्त्री), उर्वी (स्त्री), वसुन्धरा (स्त्री)
2.1.3.1 – सर्वंसहा वसुमती वसुधोर्वी वसुन्धरा

भूमिः. (8) – गोत्रा (स्त्री), कु (स्त्री), पृथिवी (स्त्री), पृथ्वी (स्त्री), क्ष्मा (स्त्री), अवनि (स्त्री), मेदिनी (स्त्री), मही (स्त्री)
2.1.3.2 – गोत्रा कुः पृथिवी पृथ्वी क्ष्मावनिर्मेदिनी मही

भूमिः. (7) – विपुला (स्त्री), गह्वरी (स्त्री), धात्री (स्त्री), गो (स्त्री), इला (स्त्री), कुम्भिनी (स्त्री), क्षमा (स्त्री)
2.1.3.3 – विपुला गह्वरी धात्री गौरिला कुम्भिनी क्षमा

भूमिः. (4) – भूतधात्री (स्त्री), रत्नगर्भा (स्त्री), जगती (स्त्री), सागराम्बरा (स्त्री)
2.1.3.4 – भूतधात्री रत्नगर्भा जगती सागराम्बरा

मृद्. (2) – मृद् (स्त्री), मृत्तिका (स्त्री)
प्रशस्तमृद्. (2) – मृत्सा (स्त्री), मृत्स्ना (स्त्री)
2.1.4.1 – मृन्मृत्तिका प्रशस्ता तु मृत्सा मृत्स्ना च मृत्तिका

सर्वसस्याढ्यभूमिः. (1) – उर्वरा (स्त्री)
क्षारमृद्. (2) – ऊष (पुं), क्षारमृत्तिका (स्त्री)
2.1.4.2 – उर्वरा सर्वसस्याढ्या स्यादूषः क्षारमृत्तिका

क्षारमृद्विशेषः. (2) – ऊषवत् (वि), ऊषर (वि)
अकृत्रिमस्थानम्. (2) – स्थल (नपुं), स्थली (स्त्री)
2.1.5.1 – ऊषवानूषरो द्वावप्यन्यलिङ्गौ स्थलं स्थली

निर्जलदेशः. (2) – मरु (पुं), धन्वन् (पुं)
हलाद्यकृष्टभूमिः. (2) – खिल (वि), अप्रहत (वि)
2.1.5.2 – समानौ मरुधन्वानौ द्वे खिलाप्रहते समे

लोकः. (5) – जगती (स्त्री), लोक (पुं), विष्टप (नपुं), भुवन (नपुं), जगत् (नपुं)
2.1.6.1 – त्रिष्वथो जगती लोको विष्टपं भुवनं जगत्

2.1.6.2 – लोकोऽयं भारतं वर्षं शरावत्यास्तु योऽवधेः

शरावत्याः अवधेः प्राग्दक्षिणदेशः. (1) – प्राच्य (पुं)
शरावत्याः अवधेः पश्चिमोत्तरदेशः. (1) – उदीच्य (पुं)
2.1.7.1 – देशः प्राग्दक्षिणः प्राच्य उदीच्यः पश्चिमोत्तरः

भारतस्य पश्चिमसीमाप्रदेशः. (2) – प्रत्यन्त (पुं), म्लेच्छदेश (पुं)
भारतभूमेः मध्यदेशः. (2) – मध्यदेश (पुं), मध्यम (पुं)
2.1.7.2 – प्रत्यन्तो म्लेच्छदेशः स्यान्मध्यद्देशस्तु मध्यमः

विन्ध्यहिमाद्रिमध्यदेशः. (2) – आर्यावर्त (पुं), पुण्यभूमि (पुं)
2.1.8.1 – आर्यावर्तः पुण्यभूमिर्मध्यं विन्ध्यहिमालयोः

जननिवासस्थानम्. (2) – नीवृद् (पुं), जनपद (पुं)
ग्रामसमुदायलक्षणस्थानम्. (3) – देश (पुं), विषय (पुं), उपवर्तन (नपुं)
2.1.8.2 – नीवृज्जनपदो देशविषयौ तूपवर्तनम्

नडाधिकदेशः. (2) – नड्वत् (वि), नड्वल (वि)
2.1.9.1 – त्रिष्वागोष्ठान्नडप्राये नड्वान्नड्वल इत्यपि

कुमुदबहुलदेशः. (1) – कुमुद्वत् (वि)
बहुवेदसदेशः. (1) – वेतस्वत् (वि)
2.1.9.2 – कुमुद्वान्कुमुदप्राये वेतस्वान्बहुवेतसे

बालतृणबहुलदेशः. (1) – शाद्वल (वि)
सपङ्कदेशः. (2) – सजम्बाल (वि), पङ्किल (वि)
2.1.10.1 – शाद्वलः शादहरिते सजम्बाले तु पङ्किलः

जलाधिकदेशः. (3) – जलप्राय (वि), अनूप (वि), कच्छ (पुं)
2.1.10.2 – जलप्रायमनूपं स्यात्पुंसि कच्छस्तथाविधः

अश्मप्रायमृदधिकदेशः. (2) – शर्करा (स्त्री), शर्करिल (वि)
अश्मप्रायमृदधिकदेशः वस्तु च. (2) – शार्कर (वि), शर्करावत् (वि)
2.1.11.1 – स्त्री शर्करा शर्करिलः शार्करः शर्करावति

वालुकाबहुलदेशः. (2) – सिकता (स्त्री), सिकतिल (वि)
वालुकाबहुलदेशः वस्तु च. (2) – सैकत (वि), सिकतावत् (वि)
सिकतायुक्तदेशः. (1) – उन्नेय (वि)
2.1.11.2 – देश एवादिमावेववमुन्नेयाः सिकतावति

2.1.12.1 – देशो नद्यम्बुवृष्ट्यम्बुसंपन्नव्रीहिपालितः

नद्यम्बुभिः सम्पन्नदेशः. (1) – नदीमातृक (वि)
वृष्ट्यम्बुभिः सम्पन्नदेशः. (1) – देवमातृक (वि)
2.1.12.2 – स्यान्नदीमातृको देवमातृकश्च यथाक्रमम्

स्वधर्मपरराजयुक्तदेशः. (1) – राजन्वत् (वि)
सामान्यराजयुक्तदेशः. (1) – राजवत् (वि)
2.1.13.1 – सुराज्ञि देशे राजन्वान्स्यात्ततोऽन्यत्र राजवान्

गवां स्थानम्. (2) – गोष्ठ (नपुं), गोस्थानक (नपुं)
भूतपूर्वगोस्थानम् buscar. (1) – गौष्ठीन (नपुं)
2.1.13.2 – गोष्ठं गोस्थानकं तत्तु गौष्ठीनं भूतपूर्वकम्

नद्यादिसमीपभूमिः. (2) – पर्यन्तभू (स्त्री), परिसर (पुं)
सेतुः. (2) – सेतु (पुं), आलि (स्त्री-पुं)
2.1.14.1 – पर्यन्तभूः परिसरः सेतुरालौ स्त्रियां पुमान्

पिपीलिकादिनिष्कासितमृत्पुञ्जम्. (3) – वामलूर (पुं), नाकु (पुं), वल्मीक (पुं-नपुं)
2.1.14.2 – वामलूरश्च नाकुश्च वल्मीकं पुन्नपुंसकम्

मार्गः. (7) – अयन (नपुं), वर्त्मन् (नपुं), मार्ग (पुं), अध्वन् (पुं), पथिन् (पुं), पदवी (स्त्री), सृति (स्त्री)
2.1.15.1 – अयनम्वर्त्म मार्गाध्वपन्थानः पदवी सृतिः

मार्गः. (5) – सरणि (स्त्री), पद्धति (स्त्री), पद्या (स्त्री), वर्तनी (स्त्री), एकपदी (स्त्री)
2.1.15.2 – सरणिः पद्धतिः पद्या वर्तन्येकपदीति च

शोभनमार्गः. (4) – अतिपथिन् (पुं), सुपथिन् (पुं), सत्पथ (पुं), अर्चिताध्वन् (पुं)
2.1.16.1 – अतिपन्थाः सुपन्थाश्च सत्पथश्चार्चितेऽध्वनि

दुर्मार्गः. (5) – व्यध्व (पुं), दुरध्व (पुं), विपथ (पुं), कदध्वन् (पुं), कापथ (पुं)
2.1.16.2 – व्यध्वो दुरध्वो विपथः कदध्वा कापथः समाः

मार्गाभावः. (2) – अपथिन् (पुं), अपथ (नपुं)
चतुष्पथम्. (2) – शृङ्गाटक (नपुं), चतुष्पथ (नपुं)
2.1.17.1 – अपन्थास्त्वपथं तुल्ये शृङ्गाटकचतुष्पथे

छायाजलादिवर्जितदूरस्थो़ध्वा. (1) – प्रान्तर (नपुं)
चोराद्युपद्रवैर्दुर्गममार्गः. (1) – कान्तार (नपुं)
2.1.17.2 – प्रान्तरं दूरशून्योऽध्वा कान्तारं वर्त्म दुर्गमम्

कोशयुगपरिमितमार्गः. (2) – गव्यूति (स्त्री), क्रोशयुग (नपुं)
चतुश्शतहस्तपरिमितमार्गः. (1) – नल्व (पुं)
2.1.18.1 – गव्यूतिः स्त्री क्रोशयुगं नल्वः किष्कुचतुःशतम्

राजमार्गः. (2) – घण्टापथ (पुं), संसरण (नपुं)
पुरमार्गः. (1) – उपनिष्कर (नपुं)
2.1.18.2 – घण्टापथः संसरणं तत्पुरस्योपनिष्करम्

भूम्याकाशयोः नाम. (4) – द्यावापृथिव्यौ (स्त्री), रोदस् (नपुं), द्यावाभूमी (स्त्री-द्वि), रोदसी (स्त्री)
2.1.19.1 – द्यावापृथिव्यौ रोदस्यौ द्यावाभूमी च रोदसी

भूम्याकाशयोः नाम. (1) – दिवस्पृथिव्यी (स्त्री-द्वि)
क्षारसमुद्रः. (3) – गञ्जा (स्त्री), रुमा (स्त्री), लवणाकर (पुं)
2.1.19.2 – दिवस्पृथिव्यौ गञ्जा तु रुमा स्याल्लवणाकरः