स्वीकृतिः

विषादप्यमृतं ग्राह्यं

बालादपि सुभाषितम् ।

अमित्रादपि सद्वृत्तं

अमेध्यादपि काञ्चनम् ।।

विषातूनही अमृताचं ग्रहण केलं पाहिजे , बालकाकडूनही उत्तम वचन घेतले पाहिजेत , विरोधका कडूनही उत्तम आचरण शिकलं पाहिजे आणि अशुद्ध स्थानाहूनही सोनं प्राप्त केलं पाहिजे .

विष से भी अमृत का ग्रहण करना चाहिए , बालक से भी उत्तम वचन को ले लेना चाहिए और वैरी से भी श्रेष्ठ आचरण सीख लेना चाहिए, तथा अशुद्ध स्थान से भी स्वर्ण को प्राप्त कर लेना चाहिए ।

Nectar is still acceptable even if it is found in poison , important insight might be found in child talk . Imbibe therefore good qualities even from a non-friend and accept gold even if it is found

in grime.