वरं वनं वरं भैक्ष्यं वरं भारोपजीवनं |

पुंसां विवेकहीनानां सेवया न धनाSर्जनम् |l

संपत्ति अर्जित करने के उद्देश्य से वन में निवास करना, भिखारी बन जाना या बोझ उठाने वाला कुली बन जाना श्रेयस्कर है परन्तु सद्बुद्धि और निर्णय लेने की क्षमता से हीन व्यक्तियों का सेवक कभी भी नहीं बनना चाहिये ।

During the course of acquiring wealth one should better live in a forest or become a beggar or become a porter, but he should never become a servant of a person without any wisdom and discretion.