सिंहः. (6) – सिंह (पुं), मृगेन्द्र (पुं), पञ्चास्य (पुं), हर्यक्ष (पुं), केसरिन् (पुं), हरि (पुं)
2.5.1.1 – सिंहो मृगेन्द्रः पञ्चास्यो हर्यक्षः केसरी हरिः

सिंहः. (4) – कण्ठीरव (पुं), मृगारिपु (पुं), मृगदृष्टि (पुं), मृगाशन (पुं)
2.5.1.2 – कण्ठीरवो मृगारिपुर्मृगदृष्टिर्मृगाशनः

सिंहः. (4) – पुण्डरीक (पुं), पञ्चनख (पुं), चित्रकाय (पुं), मृगद्विष् (पुं)
2.5.1.3 – पुण्डरीकः पञ्चनखचित्रकायमृगद्विषः

व्याघ्रः. (3) – शार्दूल (पुं), द्वीपिन् (पुं), व्याघ्र (पुं)
तरक्षुः. (2) – तरक्षु (पुं), मृगादन (पुं)
2.5.1.4 – शार्दूलद्वीपिनौ व्याघ्रे तरक्षुस्तु मृगादनः

वराहः. (7) – वराह (पुं), सूकर (पुं), घृष्टि (पुं), कोल (पुं), पोत्रिन् (पुं), किरि (पुं), किटि (पुं)
2.5.2.1 – वराहः सूकरो घृष्टिः कोलः पोत्री किरिः किटिः

वराहः. (5) – दंष्ट्रिन् (पुं), घोणिन् (पुं), स्तब्धरोमन् (पुं), क्रोड (पुं), भूदार (पुं)
2.5.2.2 – दंष्ट्री घोणी स्तब्धरोमा क्रोडो भूदार इत्यपि

वानरः. (5) – कपि (पुं), प्लवङ्ग (पुं), प्लवग (पुं), शाखामृग (पुं), वलीमुख (पुं)
2.5.3.1 – कपिप्लवङ्गप्लवगशाखामृगवलीमुखाः

वानरः. (4) – मर्कट (पुं), वानर (पुं), कीश (पुं), वनौकस् (पुं)
भल्लूकः. (1) – भल्लुक (पुं)
2.5.3.2 – मर्कटो वानरः कीशो वनौका अथ भल्लुके

भल्लूकः. (3) – ऋक्षाच्छ (पुं), भल्ल (पुं), भालूक (पुं)
गण्डकः. (3) – गण्डक (पुं), खड्ग (पुं), खड्गिन् (पुं)
2.5.4.1 – ऋक्षाच्छभल्लभल्लूका गण्डके खड्गखड्गिनौ

महिषः. (5) – लुलाय (पुं), महिष (पुं), वाहद्विषत् (पुं), कासर (पुं), सैरिभ (पुं)
2.5.4.2 – लुलायो महिषो वाहद्विषत्कासरसैरिभाः

जम्भूकः. (4) – शिवा (स्त्री), भूरिमाय (पुं), गोमायु (पुं), मृगधूर्तक (पुं)
2.5.5.1 – स्त्रियां शिवा भूरिमायगोमायुमृगधूर्तकाः

जम्भूकः. (6) – शृगाल (पुं), वञ्चक (पुं), क्रोष्टु (पुं), फेरु (पुं), फेरव (पुं), जम्बुक (पुं)
2.5.5.2 – शृगालवञ्चकक्रोष्टुफेरुफेरवजम्बुकाः

मार्जारः. (5) – ओतु (पुं), बिडाल (पुं), मार्जार (पुं), वृषदंशक (पुं), आखुभुज् (पुं)
2.5.6.1 – ओतुर्बिडालो मार्जारो वृषदंशक आखुभुक्

कृष्णसर्पात् गोधायाम् जातः. (4) – गौधार (पुं), गौधेर (पुं), गौधेय (पुं), गोधिकात्मज (पुं)
2.5.6.2 – त्रयो गौधारगौधेरगौधेया गोधिकात्मजे

शल्यः. (2) – श्वाविध् (पुं), शल्य (पुं)
शल्यरोमाणि. (3) – शलली (स्त्री), शलल (नपुं), शल (नपुं)
2.5.7.1 – श्वावित्तु शल्यस्तल्लोम्नि शलली शललं शलम् buscar

समीरमृगः. (2) – वातप्रमी (पुं), वातमृग (पुं)
वृकः. (3) – कोक (पुं), ईहामृग (पुं), वृक (पुं)
2.5.7.2 – वातप्रमीर्वातमृगः कोकस्त्वीहामृगो वृकः

हरिणः. (5) – मृग (पुं), कुरङ्ग (पुं), वातायु (पुं), हरिण (पुं), अजिनयोनि (पुं)
2.5.8.1 – मृगे कुरङ्गवातायुहरिणाजिनयोनयः

एण्याः अजिनादिः. (1) – ऐणेय (वि)
एणस्याजिनादिः. (1) – ऐण (वि)
2.5.8.2 – ऐणेयमेण्याश्चर्माद्यमेणस्यैणमुभे त्रिषु

अजिनजातीयमृगः. (5) – कदली (स्त्री), कन्दली (स्त्री), चीन (पुं), चमूरु (पुं), प्रियक (पुं)
2.5.9.1 – कदली कन्दली चीनश्चमूरुप्रियकावपि

अजिनजातीयमृगः. (3) – समूरु (पुं), हरिण (पुं), अमी (पुं)
2.5.9.2 – समूरुश्चेति हरिणा अमी अजिनयोनयः

मृगभेदः. (6) – कृष्णसार (पुं), रुरु (पुं), न्यङ्कु (पुं), रङ्कु (पुं), शम्बर (पुं), रौहिष (पुं)
2.5.10.1 – कृष्णसाररुरुन्यङ्कुरङ्कुशम्बररौहिषाः

मृगभेदः. (7) – गोकर्ण (पुं), पृषत (पुं), एण (पुं), ऋश्य (पुं), रोहित (पुं), चमर (पुं), मृग (पुं)
2.5.10.2 – गोकर्णपृषतैणर्श्यरोहिताश्चमरो मृगाः

मृगभेदः. (5) – गन्धर्व (पुं), शरभ (पुं), राम (पुं), सृमर (पुं), गवय (पुं)
शशः. (1) – शश (पुं)
2.5.11.1 – गन्धर्वः शरभो रामः सृमरो गवयः शशः

पशुः. (1) – पशु (पुं)
2.5.11.2 – इत्यादयो मृगेन्द्राद्या गवाद्याः पशुजातयः

2.5.11.3 – अधोगन्ता तु खनको वृकः पुंध्वज उन्दुरः

मूषकः. (5) – अधोगन्तृ (पुं), खनक (पुं), वृक (पुं), पुन्ध्वज (पुं), उन्दुर (पुं)
2.5.12.1 – उन्दुरुर्मूषकोऽप्याखुर्गिरिका बालमूषिका

मूषकः. (3) – उन्दुरु (पुं), मूषक (पुं), आखु (पुं)
स्वल्पमूषकजातिः. (2) – गिरिका (स्त्री), बालमूषिका (स्त्री)
2.5.12.2 – सरटः कृकलासः स्यान्मुसली गृहगोधिका

ऊर्णनाभः. (4) – लूता (स्त्री), तन्तुवाय (पुं), ऊर्णनाभ (पुं), मर्कटक (पुं)
2.5.13.1 – लूता स्त्री तन्तुवायोर्णनाभमर्कटकाः समाः

कृमिः. (2) – नीलङ्गु (पुं), कृमि (पुं)
कर्णजलौका. (2) – कर्णजलौका (स्त्री), शतपदी (स्त्री)
2.5.13.2 – नीलङ्गुस्तु कृमिः कर्णजलौकाः शतपद्युभे

ऊर्णादिभक्षककृमिविशेषः. (2) – वृश्चिक (पुं), शूककीट (पुं)
वृश्चिकः. (3) – अलि (पुं), द्रुण (पुं), वृश्चिक (पुं)
2.5.14.1 – वृश्चिकः शूककीटः स्यादलिद्रुणौ तु वृश्चिके

कपोतः. (3) – पारावत (पुं), कलरव (पुं), कपोत (पुं)
श्येनः. (1) – शशादन (पुं)
2.5.14.2 – पारावतः कलरवः कपोतोऽथ शशादनः

श्येनः. (2) – पत्रिन् (पुं), श्येन (पुं)
उलूकः. (3) – उलूक (पुं), वायसाराति (पुं), पेचक (पुं)
2.5.15.1 – पत्री श्येन उलूकस्तु वायसारातिपेचकौ

उलूकः. (5) – दिवान्ध (पुं), कौशिक (पुं), घूक (पुं), दिवाभीत (पुं), निशाटन (पुं)
2.5.15.2 – दिवान्धः कौशिको घूको दिवाभीतो निशाटनः

भरद्वाजपक्षी. (2) – व्याघ्राट (पुं), भरद्वाज (पुं)
खञ्जनः. (2) – खञ्जरीट (पुं), खञ्जन (पुं)
2.5.15.3 – व्याघ्राटः स्याद्भरद्वाजः खञ्जरीटस्तु खञ्जनः

कङ्कः. (2) – लोहपृष्ठ (पुं), कङ्क (पुं)
चाषः. (2) – चाष (पुं), किकीदिवि (पुं)
2.5.16.1 – लोहपृष्ठस्तु कङ्कः स्यादथ चाषः किकीदिविः

भृङ्गः. (3) – कलिङ्ग (पुं), भृङ्ग (पुं), धूम्याट (पुं)
काष्ठकुट्टः. (1) – शतपत्रक (पुं)
2.5.16.2 – कलिङ्गभृङ्गधूम्याटा अथ स्याच्छतपत्रकः

काष्ठकुट्टः. (1) – दार्वाघाट (पुं)
चातकपक्षी. (3) – शारङ्ग (पुं), स्तोकक (पुं), चातक (पुं)
2.5.17.1 – दार्वाघाटोऽथ सारङ्गस्तोककश्चातकः समाः

कुक्कुटः. (4) – कृकवाकु (पुं), ताम्रचूड (पुं), कुक्कुट (पुं), चारणायुध (पुं)
2.5.17.2 – कृकवाकुस्ताम्रचूडः कुक्कुटश्चरणायुधः

चटकः. (2) – चटक (पुं), कलविङ्क (पुं)
चटकस्त्री. (1) – चटका (स्त्री)
2.5.18.1 – चटकः कलविङ्कः स्यात्तस्य स्त्री चटका तयोः

चटकपुमपत्यम्. (1) – चाटकैर (पुं)
चटकस्त्र्यपत्यम्. (1) – चटका (स्त्री)
2.5.18.2 – पुमपत्ये चाटकैरः स्त्र्यपत्ये चटकैव सा

अशुभवादिपक्षिविशेषः. (2) – कर्करेटु (पुं), करेटु (पुं)
अशुभपक्षिभेदः. (2) – कृकण (पुं), क्रकर (पुं)
2.5.19.1 – कर्करेटुः करेटुः स्यात्कृकणक्रकरौ समौ

कोकिलः. (4) – वनप्रिय (पुं), परभृत (पुं), कोकिल (पुं), पिक (पुं)
2.5.19.2 – वनप्रियः परभृतः कोकिलः पिक इत्यपि

काकः. (5) – काक (पुं), करट (पुं), अरिष्ट (पुं), बलिपुष्ट (पुं), सकृत्प्रज (पुं)
2.5.20.1 – काके तु करटारिष्टबलिपुष्टसकृत्प्रजाः

काकः. (5) – ध्वाङ्क्ष (पुं), आत्मघोष (पुं), परभृत् (पुं), बलिभुज् (पुं), वायस (पुं)
2.5.20.2 – ध्वाङ्क्षात्मघोषपरभृद्बलिभुग्वायसा अपि

काकः. (3) – चिरञ्जीविन् (पुं), एकदृष्टि (पुं), मौकलि (पुं)
2.5.20.3 – स एव च चिरञ्जीवी चैकदृष्टिश्च मौकुलिः

काकभेदः. (2) – द्रोणकाक (पुं), काकोल (पुं)
कालकण्ठकः. (2) – दात्यूह (पुं), कालकण्ठक (पुं)
2.5.21.1 – द्रोणकाकस्तु काकोलो दात्यूहः कालकण्ठकः

चिल्लः. (2) – आतायिन् (पुं), चिल्ल (पुं)
गृध्रः. (2) – दाक्षाय्य (पुं), गृध्र (पुं)
शुकः. (2) – कीर (पुं), शुक (पुं)
2.5.21.2 – आतायिचिल्लौ दाक्षाय्यगृध्रौ कीरशुकौ समौ

क्रौञ्चः. (2) – क्रुञ्च् (पुं), क्रौञ्च (पुं)
बकः. (2) – बक (पुं), कह्व (पुं)
सारसः. (2) – पुष्कराह्व (पुं), सारस (पुं)
2.5.22.1 – क्रुङ्क्रौञ्चोऽथ बकः कह्वः पुष्कराह्वस्तु सारसः

चक्रवाकः. (4) – कोक (पुं), चक्र (पुं), चक्रवाक (पुं), रथाङ्गाह्वय (पुं)
2.5.22.2 – कोकश्चक्रश्चक्रवाको रथाङ्गाह्वयनामकः

कलहंसः. (2) – कादम्ब (पुं), कलहंस (पुं)
कुररः. (2) – उत्क्रोश (पुं), कुरर (पुं)
2.5.23.1 – कादम्बः कलहंसः स्यादुत्क्रोशकुररौ समौ

हंसः. (4) – हंस (पुं), श्वेतगरुत् (पुं), चक्राङ्ग (पुं), मानसौकस् (पुं)
2.5.23.2 – हंसास्तु श्वेतगरुतश्चक्राङ्गा मानसौकसः

राजहंसः. (1) – राजहंस (पुं)
2.5.24.1 – राजहंसास्तु ते चञ्चुचरणैर्लोहितैः सिताः

हंसभेदः. (1) – मल्लिकाक्ष (पुं)
कृष्णचङ्चुचरणहंसः. (1) – धार्तराष्ट्र (पुं)
2.5.24.2 – मलिनैर्मल्लिकाक्षास्ते धार्तराष्ट्राः सितेतरैः

आडिः. (3) – शरारि (स्त्री), आटि (स्त्री), आडि (स्त्री)
बकभेदः. (2) – बलाका (स्त्री), बिसकण्ठिका (स्त्री)
2.5.25.1 – शरारिराटिराडिश्च बलाका बिसकण्ठिका

हंसस्त्री. (1) – वरटा (स्त्री)
सारसस्त्री. (1) – लक्ष्मणा (स्त्री)
2.5.25.2 – हंसस्य योषिद्वरटा सारसस्य तु लक्ष्मणा

जतुका. (2) – जतुका (स्त्री), अजिनपत्रा (स्त्री)
तैलपायिका. (2) – परोष्णी (स्त्री), तैलपायिका (स्त्री)
2.5.26.1 – जतुकाजिनपत्रा स्यात्परोष्णी तैलपायिका

मक्षिका. (3) – वर्वणा (स्त्री), मक्षिका (स्त्री), नीला (स्त्री)
मधुमक्षिका. (2) – सरघा (स्त्री), मधुमक्षिका (स्त्री)
2.5.26.2 – वर्वणा मक्षिका नीला सरघा मधुमक्षिका

मधुमक्षिकाविशेषः. (2) – पतङ्गिका (स्त्री), पुत्तिका (स्त्री)
वनमक्षिका. (2) – दंश (पुं), वनमक्षिका (स्त्री)
2.5.27.1 – पतङ्गिका पुत्तिका स्याद्दंशस्तु वनमक्षिका

मक्षिकाल्पजातिः. (1) – दंशी (स्त्री)
वरटा. (2) – गन्धोली (स्त्री), वरटा (स्त्री-पुं)
2.5.27.2 – दंशी तज्जातिरल्पा स्याद्गन्धोली वरटा द्वयोः

झिल्लिका. (4) – भृङ्गारी (स्त्री), झीरुका (स्त्री), चीरी (स्त्री), झिल्लिका (स्त्री)
2.5.28.1 – भृङ्गारी झीरुका चीरी झिल्लिका च समा इमाः

पतङ्गः. (2) – पतङ्ग (पुं), शलभ (पुं)
खद्योतः. (2) – खद्योत (पुं), ज्योतिरिङ्गण (पुं)
2.5.28.2 – समौ पतङ्गशलभौ खद्योतो ज्योतिरिङ्गणः

भ्रमरः. (5) – मधुव्रत (पुं), मधुकर (पुं), मधुलिह (पुं), मधुप (पुं), अलिन् (पुं)
2.5.29.1 – मधुव्रतो मधुकरो मधुलिण्मधुपालिनः

भ्रमरः. (6) – द्विरेफ (पुं), पुष्पलिह् (पुं), भृङ्ग (पुं), षट्पद (पुं), भ्रमर (पुं), अलि (पुं)
2.5.29.2 – द्विरेफपुष्पलिड्भृङ्गषट्पदभ्रमरालयः

मयूरः. (5) – मयूर (पुं), बर्हिण (पुं), बर्हिन् (पुं), नीलकण्ठ (पुं), भुजङ्गभुज् (पुं)
2.5.30.1 – मयूरो बर्हिणो बर्ही नीलकण्ठो भुजङ्गभुक्

मयूरः. (4) – शिखावल (पुं), शिखिन् (पुं), केकिन् (पुं), मेघनादानुलासिन् (पुं)
2.5.30.2 – शिखावलः शिखी केकी मेघनादानुलास्यपि

मयूरवाणिः. (1) – केका (स्त्री)
पिच्छस्थचन्द्राकृतिः. (2) – चन्द्रक (पुं), मेचक (पुं)
2.5.31.1 – केका वाणी मयूरस्य समौ चन्द्रकमेचकौ

मयूरशिखा. (2) – शिखा (स्त्री), चूडा (स्त्री)
मयूरपिच्छः. (2) – शिखण्ड (पुं), पिच्छबर्ह (नपुं)
2.5.31.2 – शिखा चूडा शिखण्डस्तु पिच्छबर्हे नपुंसके

पक्षी. (5) – खग (पुं), विहङ्ग (पुं), विहग (पुं), विहङ्गम (पुं), विहायस् (पुं)
2.5.32.1 – खगे विहङ्गविहगविहङ्गमविहायसः

पक्षी. (6) – शकुन्ति (पुं), पक्षिन् (पुं), शकुनि (पुं), शकुन्त (पुं), शकुन (पुं), द्विज (पुं)
2.5.32.2 – शकुन्तिपक्षिशकुनिशकुन्तशकुनद्विजाः

पक्षी. (6) – पतत्रिन् (पुं), पत्रिन् (पुं), पतग (पुं), पतत् (पुं), पत्ररथ (पुं), अण्डज (पुं)
2.5.33.1 – पतत्रिपत्रिपतगपतत्पत्ररथाण्डजाः

पक्षी. (6) – नगौकस् (पुं), वाजिन् (पुं), विकिर (पुं), वि (पुं), विष्किर (पुं), पतत्रि (पुं)
2.5.33.2 – नगौकोवाजिविकिरविविष्किरपतत्रयः

पक्षी. (4) – नीडोद्भव (पुं), गरुत्मत् (पुं), पित्सन्त् (पुं), नभसङ्गम (पुं)
2.5.34.1 – नीडोद्भवाः गरुत्मन्तः पित्सन्तो नभसङ्गमाः

पक्षिजातिविशेषः. (4) – हारीत (पुं), मद्गु (पुं), कारण्डव (पुं), प्लव (पुं)
2.5.34.2 – तेषां विशेषा हारीतो मद्गुः कारण्डवः प्लवः

पक्षिजातिविशेषः. (5) – तित्तिरि (पुं), कुक्कुभ (पुं), लाव (पुं), जीवञ्जीव (पुं), कोरक (पुं)
2.5.35.1 – तित्तिरिः कुक्कुभो लावो जीवञ्जीवश्च कोरकः

पक्षिजातिविशेषः. (4) – कोयष्टिक (पुं), टिट्टिभक (पुं), वर्तक (पुं), वर्तिक (पुं)
2.5.35.2 – कोयष्टिकष्टिट्टिभको वर्तको वर्तिकादयः

पक्षिपक्षः. (6) – गरुत् (पुं), पक्ष (पुं), छद (पुं-नपुं), पत्र (नपुं), पतत्र (नपुं), तनूरुह (नपुं)
2.5.36.1 – गरुत्पक्षच्छदाः पत्रं पतत्रं च तनूरुहम्

पक्षमूलम्. (2) – पक्षति (स्त्री), पक्षमूल (नपुं)
पक्षिणा तुण्डः. (2) – चञ्चु (स्त्री), त्रोटि (स्त्री)
2.5.36.2 – स्त्री पक्षतिः पक्षमूलं चञ्चुस्त्रोटिरुभे स्त्रियौ

पक्षिगतिविशेषः. (3) – प्रडीन (नपुं), उड्डीन (नपुं), सण्डीन (नपुं)
2.5.37.1 – प्रडीनोड्डीनसंडीनान्येताः खगगतिक्रियाः

अण्डम्. (3) – पेशी (स्त्री), कोश (पुं-नपुं), अण्ड (नपुं)
पक्षिवासः. (2) – कुलाय (पुं), नीड (पुं-नपुं)
2.5.37.2 – पेशी कोशो द्विहीनेऽण्डं कुलायो नीडमस्त्रियाम्

शिशुः. (7) – पोत (पुं), पाक (पुं), अर्भक (पुं), डिम्भ (पुं), पृथुक (पुं), शावक (पुं), शिशु (पुं)
2.5.38.1 – पोतः पाकोऽर्भको डिम्भः पृथुकः शावकः शिशुः

स्त्रीपुरुषयुग्मम्. (3) – स्त्रीपुंस (पुं), मिथुन (नपुं), द्वन्द्व (नपुं)
युग्मम्. (3) – युग्म (नपुं), युगल (नपुं), युग (नपुं)
2.5.38.2 – स्त्रीपुंसौ मिथुनं द्वन्द्वं युग्मं तु युगुलं युगम्

समूहः. (6) – समूह (पुं), निवह (पुं), व्यूह (पुं), सन्दोह (पुं), विसर (पुं), व्रज (पुं)
2.5.39.1 – समूहे निवहव्यूहसंदोहविसरव्रजाः

समूहः. (7) – स्तोम (पुं), ओघ (पुं), निकर (पुं), व्रात (पुं), वार (पुं), सङ्घात (पुं), सञ्चय (पुं)
2.5.39.2 – स्तोमौघनिकरव्रातवारसङ्घातसञ्चयाः

समूहः. (5) – समुदाय (पुं), समुदय (पुं), समवाय (पुं), चय (पुं), गण (पुं)
2.5.40.1 – समुदायः समुदयः समवायश्चयो गणः

समूहः. (4) – संहति (स्त्री), वृन्द (नपुं), निकुरम्ब (नपुं), कदम्बक (नपुं)
2.5.40.2 – स्त्रियां तु संहतिर्वृन्दं निकुरम्बं कदम्बकम्

सजातीयैः प्राणिभिरप्राणिभिर्वा समूहः. (1) – वर्ग (पुं)
जन्तुसमूहः. (2) – सङ्घ (पुं), सार्थ (पुं)
2.5.41.1 – वृन्दभेदाः समैर्वर्गः सङ्घसार्थौ तु जन्तुभिः

सजातीयसमूहः. (1) – कुल (नपुं)
सजातीयतिरश्चां समूहः. (1) – यूथ (पुं-नपुं)
2.5.41.2 – सजातीयैः कुलं यूथं तिरश्चां पुन्नपुंसकम्

पशुसङ्घः. (1) – समज (पुं)
पशुभिन्नसङ्घः. (1) – समाज (पुं)
2.5.42.1 – पशूनां समजोऽन्येषां समाजोऽथ सधर्मिणाम्

एकधर्मवतां समूहः. (1) – निकाय (पुं)
धान्यादिराशिः. (4) – पुञ्ज (पुं), राशि (स्त्री-पुं), उत्कर (पुं), कूट (पुं-नपुं)
2.5.42.2 – स्यान्निकायः पुञ्जराशी तूत्करः कूटमस्त्रियाम्

कपोतगणः. (1) – कापोत (नपुं)
शुकगणः. (1) – शौक (नपुं)
मयूरगणः. (1) – मायूर (नपुं)
तित्तिरिगणः. (1) – तैत्तिर (नपुं)
2.5.43.1 – कापोतशौकमायूरतैत्तिरादीनि तद्गणे

गृहासक्तपक्षिमृगाः. (2) – छेक (पुं), गृह्यक (पुं)
2.5.43.2 – गृहासक्ताः पक्षिमृगाश्छेकास्ते गृह्यकाश्च ते