Bhagavadgita 5-21, श्रीमद्भगवद्गीता ५-२१
श्लोकः बाह्यस्पर्शेष्वसक्तात्मा विन्दत्यात्मनि यत्सुखम्। स ब्रह्मयोगयुक्तात्मा सुखमक्षयमश्रुते।।५-२१।। सन्धि विग्रहः बाह्य-स्पर्शेषु असक्त-आत्मा विन्दते आत्मनि यत् सुखम्। सः ब्रह्म-योग-युक्तात्मा सुखम् अक्षयम् अश्रुते।।५-२१।।...
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