Month: March 2017

Hathayoga 1-1

॥ १॥ प्रथमोपदेशः श्री-आदि-नाथाय नमोऽस्तु तस्मै येनोपदिष्टा हठ-योग-विद्या । विभ्राजते प्रोन्नत-राज-योगम् आरोढुमिच्छोरधिरोहिणीव ॥ १॥ Śrī ādi nāthāya namostu tasmai yenopadishtā hathayogavidyā vibhrājate pronnatarājayogam...

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Subhashitam 9

दानेन तुल्यं सुहृदास्ति नान्यो लोभाच्च नान्योऽस्ति रिपुः पृथिव्याम्। विभूषणं शीलसमं न चान्यत् सन्तोषतुल्यं धनमस्ति नान्यत्॥ There is no well-wisher like charity and there is no bigger enemy than greediness in this world. There...

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Subhashitam 8

असम्यगुपयुक्तं हि ज्ञानं सुकुशलैरपि । उपलभ्यं चाविदितं विदितं चाननुष्ठितम् ॥ कुशल विद्वानो के द्वारा भी उपदेश किया हुआ ज्ञान व्यर्थ ही है, यदि उससे कर्तव्यका ज्ञान न हुआ अथवा ज्ञान होने पर भी उसका अधिष्ठान न हुआ...

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Subhashitam 7

वाचः शौचं च मनसः शौचमिन्द्रियनिग्रहः। सर्वभूते दया शौचं एतच्छौचं पराऽर्थिनाम्॥ भावार्थ :— केवल परोपकार और परहित की भावना ही मनुष्य को पवित्र करती है। इसके अभाव मे मन, वाणी और इन्द्रियों की पवित्रता कोई महत्व नहीं रखती। इसे और...

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Subhashitam 6

नास्ति धेनुसमं दुग्धं नास्ति गंगासमं जलम्। नास्ति गीतासमं ज्ञानं न भाषा संस्कृतं समा।।   गाय के समान शुद्ध दूध नहीं है।गंगा के समान शुद्ध जल नहीं है।गीता के समान शुद्ध ज्ञान नहीं है तथा संस्कृत के समान शुद्ध भाषा नहीं...

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